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नरेन्द्र मोदी की सफलता का रहस्य – Narendra Modi Success Story

नरेन्द्र मोदी : अद्भुत व्यक्तित्व – LIFE OF NARENDRA MODI  नाम – नरेन्द्र दामोदरदास मोदी| जन्म – 17 सितम्बर 1950| वर्तमान में सबसे चर्चित व्यक्ति| नरेन्द्र मोदी वाकई में एक लीडर है और उनके सामने सारी मुसीबतें कमजोर पड़ जाती है| यह उनका व्यक्तित्व ही है जिसके कारण आज वह भारत के प्रधानमंत्री (Prime Minister ) है और विश्व की निगाहें उन पर टिकी हुयी है| नरेन्द्र मोदी भारत के ज्यादातर व्यक्तियों के आदर्श बन गए है और उनके व्यक्तित्व की खूबियों का परिक्षण करके हम भी अपने व्यक्तित्व को उत्तम बना सकते है क्योंकि यह हमारा व्यक्तित्व एंव चरित्र ही होता है जो हमें सफल बनाता है| तो आईये जानते है कि क्या है नरेन्द्र मोदी की सफलता का राज़:- SUCCESS MANTRA OF NARENDRA MODI मेहनत (HARDWORK):- नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) की सफलता का सबसे बड़ा राज यही है कि वह बहुत ज्यादा मेहनत करते है| चुनाव के समय वह केवल 3-4 घंटे ही सोते थे एंव प्रधानमंत्री बनने के बाद भी वह 18 घंटे कार्य करते है| मेहनत से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है एंव सफलता के सारे रास्ते खुल जाते है| यह मोदी की मेहनत ही है जिसक

इसरो की कामयाबियां जिन पर हर भारतीय को गर्व होता है – ISRO’s Achievements That Have Made India Proud

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) आज भारत को हमेशा से ही गौरवान्वित करता रहा हैं और 15 फ़रवरी 2017 को PSLV-C37 द्वारा एक साथ 104 सैटेलाइट्स पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करके एक साथ सबसे अधिक सैटेलाइट्स लांच करने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया| इसरो ने फिर एक बार विश्व को भारत की ताकत का प्रदर्शन दिखा दिया भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( Indian Space Research Organisation ) का गठन 15 अगस्त 1969 को डॉ विक्रम साराभाई के नेतृत्व में किया गया था| तब से लेकर आज तक इसरो ने हर बार भारत को गौरवान्वित किया हैं|  क्या हम कल्पना भी कर सकते हैं कि 1963 में भारत के पहले राकेट के पुर्जों को एक साईकिल पर लाया गया था और आज भारत का अंतरिक्ष संस्थान, “इसरो” विश्व के सबसे सफल अंतरिक्ष संगठनों में से एक हैं| इससे पता चलता है कि भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने कितनी मेहनत से भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी बनाया है | हम वास्तव में भाग्यशाली हैं कि हमारा अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो हमे अंतरिक्ष में झांकने का मौका देता है जिससे हम वहां हो रही गतिविधियों की जानकारी व रहस्मयी घटनाओं

अद्भुत क्रिएटिविटी – Amazing 3D Drawing Talent – Sushant S Rane Ajab Gajab Story

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बई के रहने वाले 19 वर्षीय सुशांत एस. राणे  (Sushant S Rane)  की गज़ब रचनात्मक प्रतिभा को देखकर आप रोमांचित हो जाएंगे| सुशांत राणे एक अद्भुत 3डी आर्टिस्ट है| सुशांत की 3D चित्रकारी  (3D Hyper-Realistic Drawings)  को देखकर आपको यह विश्वास नहीं होगा कि आप कोई चित्र देख रहे है या वास्तव में कोई भौतिक वस्तु देख रहे है| सुशांत ने 3D चित्रकारी बनाना बिना किसी मदद के खुद ही सिखा है और अब उनको कई तरह की अद्भुत चित्रकारी में महारथ हासिल है| INCREDIBLE 3D DRAWING OF COKE CAN : AJAB GAJAB PICTURE BY SUSHANT RANE Image Source: https://www.instagram.com/sushantsrane/ सुशांत सोशल मिडिया पर भी बहुत चर्चित है और उनके इन्स्टाग्राम(Instagram) पर 60000 से भी ज्यादा फोल्लोवर्स है|उनके फोल्लोवर्स में रितेश देशमुख जैसी हस्तियाँ भी शामिल है|

कैसे एक कूड़ा उठाने वाला बना मशहूर फोटोग्राफर – Vicky Roy Photographer Rags to Riches Success Story in Hindi

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क्या हम सोच सकते है कि गरीबी के कारण 11 वर्ष की उम्र में घर से भागने वाला लड़का जो दिल्ली जाकर रेलवे स्टेशन पर जाकर कचरा बीनने लगा वह एक अन्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त फोटोग्राफर बन सकता है?   पढ़िए हजारों लोगो के प्रेरणास्त्रोत 27 वर्षीय मशहूर फोटोग्राफर  विक्की रॉय (Vicky Roy)  की गरीबी, संघर्ष और सफलता की कहानी (Success Story) की कहानी| 11 वर्ष की उम्र में घर से भागना – CHILDHOOD STORY OF VICKY ROY पुरुलिया गांव (पश्चिम बंगाल) में बहुत ही गरीब परिवार में जन्मे विक्की रॉय (Vicky Roy) जब छोटे थे तो उनके माता पिता ने गरीबी के कारण विक्की को उनके नाना-नानी के घर छोड़ दिया था| नाना नानी के घर में विक्की के साथ अत्याचार होता था| वहां पर विकी को दिन भर काम करना पड़ता और छोटी-छोटी बातों के लिए उनके साथ मार-पीट होती थी| नाना-नानी के घर में विकी एक कैदी के समान हो गए थे जबकि विक्की को घुमने फिरने शौक था| इसलिए 1999 में मात्रा 11 वर्ष की आयु में विक्की ने अपने मामा की जेब से 900 रूपये चोरी किये और घर से भाग गए। घर छोड़ने के बाद विक्की दिल्ली पहुँच गए। विक्की जब छोटे से गाँव से भागकर दिल्ल

इस भारतीय ने बनाया प्लास्टिक की थैलियों का विकल्प जिसे आप खा भी सकते हैं

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भारत में हर वर्ष प्लास्टिक की थैलियों (Plastic Carry Bag) की वजह से लाखों गायें और जानवरों की मृत्यु हो जाती हैं, जिनके हत्यारे अप्रत्यक्ष रूप से हम सब होते हैं|और शायद इस बात से हम में से ज्यादातर लोगों को कोई फर्क भी नहीं पड़ता| लेकिन मंगलौर के अश्वत हेगड़े ने इसका एक शानदार समाधान निकाला हैं|  अगर आपको कहा जाए कि रोजमर्रा में काम में आने वाली थैलियों (Carry Bag) को खाया भी जा सकता है| तो क्या आप विश्वास करेंगे? लेकिन अश्वत ने इस बात को सच करके दिखाया है| उन्होंने प्लास्टिक थैलियो के विकल्प के बदले Organic Bag बनाये है| जिन्हें इस्तेमाल करने के बाद जानवरों द्वारा खाया भी जा सकता है क्योंकि ये थैलियो प्लास्टिक प्रदार्थ से नहीं बल्कि 100% प्राक्रतिक प्रदार्थों से बनाई गई हैं| खुद अश्वत ने भी अपनी बात को साबित करने के लिए इन थैलियों को खाकर दिखाया हैं| शुरुआत:- जब 4 साल पहले मंगलोर नगर पालिका ने प्लास्टिक थैलियो पर बैन लगाया था| तो अश्वत के दिमाग में एक ऐसी थैलियो बनाने का विचार आया जो सस्ती हो औरअगर उसे पशु खाये भी तो कोई परेशानी न हो और आसानी से नष्ट भी की जा सके| इस विच